राजनीतिक संवाददाता द्वारा
पटना :विधायकों के सही अनुपात के अनुसार कांग्रेस को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। इसको लेकर कांग्रेस के अंदर काफी गुस्सा है। इसका इजहार कांग्रेस नेताओं ने आलाकमान राहुल गांधी से भी किया। जानकारी है कि राहुल गांधी के सामने मांग रखी गई कि दो और विधायकों को मंत्री बनाने का दबाव नीतीश कुमार और लालू प्रसाद पर बनाया जाए। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा और पंचायती राज मंत्री मुरारी गौतम ने राहुल गांधी से दिल्ली में शनिवार को मुलाकात की।
बता दें कि अभी कांग्रेस से दो विधायकों अफाक आलम और मुरारी गौतम को मंत्रिमंडल में जगह दी गई। आगे मंत्रिमंडल विस्तार के समय एक और मंत्री को शामिल करने का आश्वासन है। लेकिन प्रदेश स्तर के नेताओं की मांग कुल दो और विधायकों को मंत्रिमंडल विस्तार में जगह देने की है।
सूत्र बताते हैं कि सवर्ण जाति से किसी एक को इसमें जगह देने की चर्चा जब कांग्रेस में शुरू हुई तो कांग्रेस के अंदर ही कई नाम सामने आ गए। डॉ. मदन मोहन झा, अजीत शर्मा, प्रेमचंद मिश्रा, आनंद शंकर, सिद्धार्थ, मुन्ना तिवारी आदि नाम सामने आने लगे। नतीजा हुआ कि दो मंत्रियों में से एक भी सवर्ण को जगह नहीं मिल पाई। अब सूत्र बता रहे हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार में सवर्ण को जगह मिल सकती है। बड़ी बात यह कि ज्यादा संभावना है कि नए चेहरे को तरजीह मिले। कांग्रेस ने चेहरे को सामने लाने में लगी है।
कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने बताया कि बिहार कांग्रेस ने राजद और जदयू नेतृत्व से मंत्री पद को लेकर जो बातचीत की थी। उसमें कमी रह गई। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री जिन्हें कांग्रेस ने बिहार महागठबंधन का नेता मान निर्णय के लिए अधिकृत किया था। उनके द्वारा भी सही निर्णय नहीं लिया गया।
शर्मा ने राहुल गांधी को बताया कि राजद से औसत 4. 6 विधायक पर एक मंत्री, जदयू से 3.4 विधायक पर एक मंत्री और हम पार्टी से चार विधायक पर एक मंत्री सरकार में बनाए गए। लेकिन कांग्रेस से 9.5 विधायक पर एक मंत्री निर्धारित किया गया। अभी बिहार में कांग्रेस के19 विधायक हैं। यह सही फैसला नहीं है।
अजीत शर्मा ने बताया कि राहुल गांधी ने उनकी बातों को सुना और कहा कि महंगाई और बेरोजगारी के मामले पर देश हित में फिलहाल इस मामले पर कुछ नहीं कहने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस का लक्ष्य आगामी लोकसभा चुनाव है। अजीत शर्मा ने कांग्रेस की ओर से सवर्णों की उचित भागीदारी नहीं मिलने की बात भी राहुल गांधी से बताई गई है।
बता दें बिहार विधान सभा चुनाव 2020 के बाद कांग्रेस और राजद के रिश्तों में दरार आ गई थी। इसलिए तारापुर, कुशेश्वर स्थान और बोचाहां उपचुनाव में राजद ने कांग्रेस को महागठबंधन से अलग कर चुनाव लड़ा। कांग्रेस ने भी अलग उम्मीदवार उतारा। एमएलसी चुनाव में दोनों अलग रहे।
दरअसल कांग्रेस ने 243 में 70 सीटें महागठबंधन में ली और जीत पाई महज 19 पर। उसके बाद राजद के वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि कांग्रेस की वजह से ही तेजस्वी मुख्यमंत्री नहीं बने, महागठबंधन की सरकार नहीं बनी उसके बाद से ही तेजस्वी की आंख की किरकिरी कांग्रेस हो गई थी। अब नई सरकार में कांग्रेस भी शामिल है